रविवार, 17 मई 2015

वही इंसान आगे बढ़ते है ।

बुलंद हौसले जो रखते है ।
ऐसे इंसान आगे बढ़ते है ।।

बांध कर सर पे कफ़न जो चलते। 
मौत से वो कभी न डरते है।। 

फैसला होता यही पर सबका ।
जैसा जो करते वैसा भरते है ।।

जिनके हाथो में है किस्मत की लकीर। 
नसीब उनके ही सवरते है।। 

देखिये यह न कोई क्या करता ।
ये देखिये क्या आप करते है।। 

यहाँ इज़्ज़त से जो जीते है बेगम ।
वो तो इज्ज़त के साथ मरते है ।।

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

शीश पर शोभीत जटा गंगा की बहती धार है।

शीश  पर शोभीत जटा  गंगा की बहती धार है।
च्ंद्रमा है माथ पर विषधर गले का हार है।।
भस्म भूषित अंग हैं परिधान केहरि चर्म का।
भाल बीच त्रिपुण्ड है, शिव का अजब श्रृंगार है।।
हाथ एक त्रिशूल है दूजे में डमरू शोभता।
वृषभ की अदभुत सवारी तेज रूप अपार है।।
पार्वती अर्धांगिनी प्रतिहार भूत पिशाच है।
धाम गिरि कैलाश  है जो स्वर्ग का सिंहद्वार है।।
सुर, असुर, नर, संत, योगी नित्य ध्यावत हैं जिसे।
वेद की वाणी थके, शिवशक्ति अपरंपार है।।

फौलाद के दिल वालो शीशे से न टकराओ


फौलाद के दिल वालो शीशे  से न टकराओ ।
बेकस इंसानो पर, मत जुल्मो सितम ढाओ।।
प्यासो को दो पानी ऐ काली घटाओ तुम।
पानी की जगह उनपे पत्थर मत बरसाओ।
साहिल के सीने से कश्ती  को जुदा करके ।
ऐ जुलमी लहरो तुम भंवरो में न भटकाओ।।
जो शमा जलाई है जश्नो  के लिए हमने।
बेरहम हवाओ तुम, मत उन्हे बुझा जाओ।।
मर मरकर जो जीते, दर्दोगम से लडकर।
ऐसे मजलूमों को, तुम और न तडपाओ ।।
हाथो को फैलाये जो आये है दर पर।
ऐ ऊचे मकाॅ वालो उनको मत ठुकराओ।।
बस चार दिनों की है दिल की महफील।
तुम इसमें मुहब्बत के, नगमें तो जरा गाओ।।